कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे “हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं वक्त के बदल जाने से इतनी तकलीफ नही होती है, राहत इंदौरी की दर्द भरी शायरियाँ कुछ इस प्रकार हैं – मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा…” के ये रातें https://youtu.be/Lug0ffByUck